Saturday, June 10, 2017

प्रेस क्लब के चुनाव 25 जून को करवाने की ज़िद जारी?

 15 जून को जारी होगी वोटरों की सूची?
लुधियाना: 10 जून 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
लुधियाना में प्रेस क्लब बनाने की सरगर्मियां ज़ोरों से जारी हैं। हाल ही में घोषित चुनावी कार्यक्रम से डी.सी. और डी पी आर ओ ने खुद को चुनावी प्रक्रिया और पत्रकारों की आपसी गुटबंदी से अलग कर लिया था। प्रशासन के उस कदम से लगा था कि शायद इन चुनावों के लिए कोई नई तारीख घोषित होगी पर लगता है कि एक विशेष गुट 25 जून को ही चुनाव करवाने पर बज़िद है। इस मकसद के लिए लुधियाना प्रेस क्लब को रजिस्टर्ड नाम को रजिस्टर्ड भी करवा लिया गया है। इस मकसद का एक विशेष पत्र "इस प्रेस क्लब" के "सदस्यों" को ईमेल से भी भेजा गया है। इस पत्र के मुताबिक चुनाव 25 जून को होंगें और वोटिंग के लिए 350 पत्रकारों की प्राथमिक सूची बनाई गयी है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि वोटर सूची 15 जून तक जारी कर दी जाएगी।                  
पत्र इस प्रकार है:             
प्रिय बंधुवर

हम बेहद खुशी के साथ यह ऐलान करते है कि आप सभी की सलाह एवं मांग के अनुसार लुधियाना शहर के लिए पत्रकारो का एक सरवसांझा प्रैस क्लब बनाने के प्रयासों के तौर पर लुधियाना प्रैस क्लब रजिस्ट्रड करवाकर इसके पदाधिकारियों के रूप में किसी एक ग्रुप या समाचार पत्र के प्रतिनिधि को आगे करने की बजाये कल्ब के सभी पदाधिकारियों का चुनाव वोट के जरिये करवाने का फैसला लिया गया है। आप भी इस क्लब के  मेंबर के तौर पर शामिल हैं । 

कार्यकारिणी कमेटी ने लोकतान्त्रिक तरीके से 25 जून को वोटिंग करवाने के लिए सभी प्रमुख समाचार पत्र, टीवी चैनल, लोकल अखबारों में से करीब 350 पत्रकारों की प्राथमिक सूची बनाई है।

जो पत्रकार इस सूची में शामिल होने से रहते है, उनसे  दस्तावेज मांगे गए है जोकि एपीआरओ दफ्तर या फिर परमेश्वर सिंह 98141 74325 को जमा करवा सकते हैं।
वोटर सूची 15 जून तक जारी कर दी जाएगी।

यदि आप अपना पहचान पत्र बनाना चाहते है तो कृपया अपनी वर्तमान फोटो इस ई-मेल पर भेजने का कष्ट करें जी। किसी भी और जानकारी के लिए आप इस ईमेल आईडी पर सम्पर्क कर सकते हैं।
Ludhiana press club <ludhianapressclub2017@gmail.com>

गौरतलब है कि शहर में प्रेस क्लब बनाने को लेकर एक विशेष मीटिंग का आयोजन पत्रकारों की ओर से लुधियाना क्लब में ९ जून को किया गया था। इस मीटिंग के बाद दावा किया गया था कि इस बैठक में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सभी जर्नलिस्ट और फोटो जर्नलिस्ट विशेष तौर पर पहुंचे। इस दौरान प्रेस क्लब को लेकर 26 सदस्यों पर आधारित कमेटी का गठन भी किया गया। इसमें सभी संस्थानों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने का दावा किया गया। 
इस दावे के मुताबिक मीटिंग के दौरान करीब 250 पत्रकार शामिल हुए। शामिल रहे पत्रकारों में से प्रमोद बातिश, रणदीप वशिष्ट, हितेश गुप्ता, भूपिंदर सिंह भाटिया, नीरज मैनरा, मुनीष अत्री, परमिंदर सिंह आहूजा, महेश औल, कुलवंत सिंह, गुरमीत सिंह, राजदीप सिंह, तरसेम भारद्वाज, अर्शदीप समर, राजीव शर्मा, संजय वशिष्ट, आशुतोष गौतम, रविंदर अरोड़ा, कुलदीप सिंह, योगेश कपूर, हरजोत अरोड़ा, अमनदीप सिंह मक्कड़, तुषार भारती को कमेटी में शामिल किया गया। कमेटी के मेंबर क्लब को लेकर रूप-रेखा तैयार करेंगे। इसके अलावा राजदीप सैनी, वरिंदर राणा, विनय दुआ, विक्की शर्मा, सुरिंदर अरोड़ा, राजेश शर्मा, निखिल भारद्वाज, दीपक सैलोपाल, मुनीष कुमार और नीरज जैन भी मौजूद रहे। 
इस मीटिंग के दौरान वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद बातिश और रणदीप वशिष्ट ने कहा कि आने वाले समय में पत्रकारों की समस्याओं का हल करने के लिए सभी एकजुट होकर चलेंगे। उन्होंनें कहा कि क्लब बनाने के लिए पत्रकार भाईचारे को आगे बढ़ कर पहल करनी चाहिए। विशवास भी दिलाया गया कि प्रेस क्लब के गठन के लिए अन्य एसोसिएशनों को भी साथ लेकर चला जाएगा। मीटिंग में समझाया गया कि क्लब के गठन से सभी पत्रकारों को एक मंच मिलेगा। यह भी कहा गया कि कमेटी की अगली मीटिंग जल्द ही की जाएगी। इसके बाद अलग-अलग कमेटियों का भी गठन भी किया जाएगा, ताकि क्लब के गठन को लेकर जल्द कार्रवाई शुरू की जा सके। उल्लेखनीय है कि पत्रकारों की ओर से लुधियाना में प्रेस क्लब बनाने के लिए लम्बे समय से मांग की जाती रही है। 
इस मांग के चलते कई उतराव चढ़ाव भी आये हैं लेकिन सच्ची एकता सामने नहीं आ सकी। इसका अहसास बहुत बार होता रहा। वर्ष 2014 में जब वरिष्ठ पत्रकार गौतम जालंधरी को अध्यक्ष बनाया गया था उस समय भी बहुत से सपने थे। जब लुधियाना में इस मकसद की सरगर्मियां तेज़ हुईं तो बहुत कुछ और भी सामने आया। प्रेस क्लब बनाने के मामले को लेकर स्वयंभू टीम की तानाशाही भी चर्चा में आई। इस सब कुछ के बावजूद सरगर्मियां जारी रहीं। उन दिनों भी डीपीआरओ कार्यालय को एक गुट अपने व्यक्तिगत कार्यालय की तरह प्रयोगकर रहा था। उस समय भी डीपीआरओ कार्यालय ने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। मई 2015 में भी लुधियाना में मीडिया के अधिकारों की जंग तेज़ हुई। उस समय भी लगने लगा था कि बस आजकल में ही प्रेस क्लब बना जायेगा। हालांकि एक वरिष्ठ पत्रकार चरणजीत सिंह तेजा ने पंजाबी भवन के खुले प्रांगण में एक पेड़ के नीचे खड़े हो कर स्पष्ट किया था कि यह सब इतना आसान नहीं है। इस सपने को साकार करने के लिए संघर्ष करना होगा। उस के बाद इस मीटिंग से अलग हो कर एक विशेष बैठक 23 मई 2015 को आयोजित की गयी थी।  इसकी तैयारियों के चलते भी लगता था कि बस अब बहुत जल्द बनेगा प्रेस क्लब। उन दिनों भी बहुत बार कन्फूज़न की स्थिति पैदा हुई। कभी लगा सब कुछ गया कभी लगा सब कुछ बना। पर वास्तव में सब कुछ अपनी अपनी शक्ति के प्रदर्शन जैसा ही था। इसके बावजूद सरकारी सरगर्मियों का विरोध करने वाले गुट ने तेज़ी दिखाते हुए कुछ पहलकदमियां की और अपनी कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया था। उन दिनों ही प्रेस लायन्ज़ क्लब भी सामने आया। पत्रकारों का जोश भी बहुत था। उत्साह भी बहुत था लेकिन इस सब के बावजूद बात नहीं बन सकी। आखिर बात बिगड़ती क्यों थी। क्या अलग अलग गुटों ने कोई ज़मीन बांटनी थी या जागीर अपने नाम लगवानी थी। अफ़सोस कि प्रेस क्लब की बात बिगड़ती क्यों थी यह सवाल आज भी कायम है। 
प्रेस क्लब के लिए दो या तीन या अधिक गुट भी सामने आएं तो कोई बुर बात नहीं। लोकतंत्र में सभी को अपनी आवाज़ बुलंद करने का अधिकार है। जालंधर प्रेस क्लब में शायद मुख्यता तीन गुट थे। लेकिन सभी का संविधान, ऐजेंडा और सदस्य सूची सामने आने में क्या हर्ज है। इस सरे काम को आराम से सहज हो कर करने में क्या बुराई है? सब कुछ किसी हड़बड़ी में क्यों?
अगर इस तरह की बातों से प्रेस क्लब बन भी जाता है तो उसमें एकता और प्रेम का अभाव हमेशां रहेगा। अगर पहले कदम पर ही पूर्ण एकता नहीं है तो आधा राह चल कर एकता होगी यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल है। इस हड़बड़ी में कहीं ऐसा न हो--

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