Thursday, November 10, 2016

भारत को स्वच्छ भारत बनाने के लिए काले धन पर जबरदस्त प्रहार

09-नवंबर-2016 19:44 IST

काले धन पर प्रहार से मुद्रा स्थिति पर लगाम लगेगी
भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री का कदम विश्व में अर्थव्यवस्था को स्वच्छ बनाने का पहला बड़ा कदम
                                                                                                               
*प्रकाश चावला
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को राष्ट्र को संबोधित किए जाने के दौरान की गई घोषणा के अनुसार 8 नवंबर की मध्य रात्रि से 500 रुपये और 1000 रुपये के करेंसी नोट के प्रचलन की समाप्ति को काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जबरदस्त प्रहार के रूप में देखा जा रहा है। काला धन और भ्रष्टाचार अनेक दशकों से देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह खा रहे थे। सरकार के शीर्ष स्तर पर अनेक महीनों के सोच-विचार के बाद इन करेंसी नोटो को अमान्य करने की अचानक घोषणा से अंतरिम रूप से कुछ मुश्किलें आएंगी, लेकिन प्रधानमंत्री ने लोगों से ठीक ही कहा है कि भ्रष्टाचार और काले धन के दानव को परास्त करने के साथ-साथ जाली नोट के प्रचलन को रोकने के लिए प्रत्येक नागरिक को मूल्य चुकानी होगी। भ्रष्टाचार, काला धन और जाली नोट तथा आतंकवाद को वित्तीय सहायता समस्या की जड़ है।
श्री मोदी ने कहा, ‘देश के विकास के इतिहास में ऐसा समय आता है जब दृढ़ और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता होती है। गलत तरीके से एकत्रित धन की जमाखोरी के विरुद्ध मोदी के कदम से काले धन को जमा करने वालों पर जबरदस्त प्रहार हुआ है और भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका प्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।’
एक ओर गलियों तथा सड़कों को स्वच्छ बनाने और शौचालय निर्माण के लिए स्वच्छ भारत का कार्यक्रम चलाया जा रहा है तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री का स्वच्छता अभियान अर्थव्यवस्था की सफाई के लिए दुनिया के किसी भी भाग में शुरू किया गया सबसे बड़ा अभियान है। काले धन और भ्रष्टाचार से ग्रसित प्रणाली की साफ-सफाई के आकार की कल्पना कीजिए। अनुमान के अनुसार 500 रुपये तथा 1000 रुपये मूल्य के 14 लाख करोड़ करेंसी नोट सर्कुलेशन में हैं यह नोट 31 दिसंबर, 2016 और अधिक से अधिक 31 मार्च, 2017 तक वापस ले लिए जाएंगे।
कुछ बैंकर्स महसूस करते हैं कि इस राशि का एक तिहाई हिस्सा बैंक में जमा नहीं कराया जा सकता, क्योंकि इतनी अधिक मात्रा में धनराशि जमा कराने से कुछ लोग दिक्कत में आ सकते हैं इसका अर्थ यह है कि देश को 4.33 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे। यह भारतीय रिजर्व बैंक की घटी देनदारी के संदर्भ में देश को एक तरह की प्राप्ति है।
इस विशाल स्वच्छा अभियान से केन्द्र सरकार की वित्तीय स्थिति बेहतर होगी और मुद्रा स्फीति के मोर्चे पर सकारात्मक लाभ मिलेगा। यह सामान्य जानकारी की बात है कि मुद्रा स्फीति को काला धन ईंधन प्रदान करता है। वास्तव में रियल स्टेट बाजार नकदी हिस्से पर फलता-फूलता है और इस पर रोक लगेगी। रियलिटी क्षेत्र को झटका लगेगा, लेकिन यह क्षेत्र नई वास्तविकता के अनुसार को अपने को समायोजित कर लेगा। इसलिए विश्लेषक यह सही कह रहे हैं कि काले धन पर प्रहार से मुद्रा स्फीति पर लागाम लगेगा और अंततः सामान्य लोगों को मदद मिलेगी। उन्हें कुछ परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। ऊंचे मूल्य के नोटों लोगों को अमान्य घोषित करने से लोक सेवाओं में भ्रष्टाचार पर प्रीमियम में भारी गिरावट आएगी। राष्ट्र को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने पिछले दो वर्षों में काले धन पर लगाम लगाने के लिए अनेक कदम उठाए। इन कदमों में विदेशी काला धन घोषित करने के लिए कानून, बैंकिंग सूचना साझा करने के लिए अनेक देशों के साथ समझौता, बेनामी कारोबार को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानून और जुर्माना अदा करने के बाद काले धन की घोषणा के लिए योजना शामिल हैं। इन प्रयासों से 1.25 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए है। इसमें बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आने वाली 4.33 लाख करोड़ रुपये को जोड़ा जाए तो कुल रकम 5.50 लाख करोड़ रुपए होती है। यह लाभ मध्यम से दीर्घ अवधि में देश को मिलेगा।
अंतरिम  व्यवस्था में सरकार के लिए एकमात्र चुनौती यह है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सामान्य आदमी को काठनाई न हो और बैंकिंग प्रणाली लोगों में यह विश्वास भरे कि सामान्य घरों का धन पूरी तरह सुरक्षित है।
निर्णायक रूप से प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ईमानदार नागरिक चाहते हैं कि भ्रष्टाचार, कालाधन, बेनामी संपत्ति, आतंकवाद और जाली नोटों के प्रचलन के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहे। सरकारी अधिकारियों द्वारा बिस्तर के नीचे करोड़ों रुपये के करेंसी नोट रखने और बोरियों में रकम भरने की खबरों से देश के किस ईमानदार नागरिक को तकलीफ नहीं होगी?’
प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा कि विश्व में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था होन के बावजूद भ्रष्टाचार के सूचकांक में भारत का स्थान ऊंचा है। अनेक कदम उठाने के बावजूद भारत अभी भी भ्रष्टाचार के सूचकांक में 76वें पायदान पर है।
शेयर बाजारों से शुरूआती प्रतिक्रिया प्रतिकूल आई है। ऐसी अपेक्षा थी बाजार में नरमी ट्रम्प की विजय से भी जुड़ी है।
मोदी का यह जबरदस्त कदम भारत के स्वच्छ भारत बनाने में एक छलांग साबित होगा।
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*प्रकाश चावला दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार है और अधिकतर राजनीतिक-आर्थिक विषयों पर लिखते हैं।
लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने विचार हैं।

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एजी/डीके-49

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