Monday, October 10, 2016

केन्द्र सरकार शरीयत में दखलअंदाजी की कोशिश न करे

मुस्लमान किसी भी काले कानून को नहीं मानेगे : शाही इमाम पंजाब
लुधियाना: 10 अक्तूबर 2016:  (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
आज यहां मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के कार्यलय जामा मस्जिद लुधियाना में मीटिंग से संबोधित करते हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने दो-टूक कहा कि केन्द्र सरकार शरीयत में दखल अंदाजी की कोशिश न करे। क्योंकि मुसलमान अपने धर्म में हस्तक्षेप करने वाले किसी भी कानून को नहीं मानेगा। शाही इमाम ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल ला के विषय में हो रही सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से दायर किया गया जवाब भारत के 26 करोड़ मुसलमानों की भावनाओं के खिलाफ है। मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि भारत का सविधान प्रत्येक भारतीय को अपने धर्म के मुताबिक जीवन व्यतीत करने का अधिकार देता है और केन्द्र सरकार संविधान के इस भाग को भूल चुकी है। शाही इमाम ने कहा कि मुसलमानों को अपने शादी-विवाह और तलाक के विषय में किसी सरकारी सुझाव की जरूरत नहीं। उन्होनें कहा कि कुरआन शरीफ में अल्लाह ताआला ने एक मुक्म्मल दस्तूर हमें दिया जो कि हर लिहाज से पूरा है। शाही इमाम ने कहा कि कुछ लोग मुस्लिम पर्सनल ला को लेकर सियासी रोटियां सेकने में लगे है, ऐसे लोगों ने दरअसल कुरआन को पढ़ा ही नहीं है। कुरआन शरीफ में मर्द के साथ-साथ औरत को भी पूर्ण हक दिए है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि मोदी सरकार को चाहिए कि वह धर्म के नाम राजनीति करना छोड़े और विकास की ओर ध्यान दें। लोगो को अमन-शांति, भाईचारे और अच्छे दिनों की जरूरत है ना कि मन की बातें करके जनता का ध्यान भटकाएं। शाही इमाम पंजाब ने कहा कि भारत के सभी मुसलमान अपने अधिकारों के लिए एकजुट है, वह किसी भी काले कानून को नहीं मानेगें। शाही इमाम ने कहा कि केन्द्र सरकार में बैठे मुस्लिम प्रतिनिधियों का चाहिए कि वह चमचागिरी छोड़े और सरकार को मुसलमानों की भावनाओं से अवगत करवाए। उन्होनें कहा कि मुस्लिम पर्सनल ला को लेकर अगर जरूरत हुई तो दिल्ली में भारत की सभी मुस्लिम संस्थाएं एक-जुट होकर सरकार के सामने अपनी बात रखेगी। एक प्रशन का उत्तर देते हुए शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि शरीयत मुसलमानों की रूह है और दुनिया की कोई भी ताकत उसे बदल नहीं सकती।
फोटो कैप्शन- शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी।

No comments: