Sunday, October 23, 2016

कन्हैया ने दी जाह्नवी को शुभकामनाएं और विरोध करने वालों को धन्यवाद

पंजाब का वाम छात्र आंदोलन अब फिर छू  सकता है नई शिखरें 
लुधियाना: 23 अक्टूबर 2016: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
कन्हैया कुमार को खुली बहस की चुनौती देने वाली जाह्नवी को कन्हैया कुमार ने शुभ कामनाएं दी हैं। इसके साथ ही उन्होंने विरोध करने वाले वकीलों को भी धन्यवाद किया और कहा कि यह सांस्कृतिक लोग हैं और कानून के दायरे में रहते हुए अपने अधिकार का प्रयोग क्र रहे हैं। यहाँ मीडिया से एक भेंट वार्ता के दौरान उस छात्रा  के सलाह भी दी कि अगर उसे डिबेट करनी है तो इस देश के नेतायों से डिबेट करनी चाहिए, इस देश के राष्ट्र अध्यक्षों से डिबेट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डिबेट के लिए डिबेट अच्छी बात है लेकिन अगर यह राजनीतिक स्टंटबाजी हो तो गलत है। गौरतलब है कि यह छात्रा कई  बार कन्हैया को खुली बहस की चुनौती दे चुकी है। 
अब जबकि देश पर बहुत सी स्वदेशी और विदेशी ईस्ट इंडिया कम्पनियां जोर पकड़ रही है उस समय कन्हैया कुमार का यह कहना कि  ले के रहेंगे आज़ादी एक ऐसा नारा बन के उभरा है जिसके साथ हाल के अधिकतर युवा साथ साथ गाने लगे थे ले के रहेंगे आज़ादी। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्य्क्ष कन्हैया कुमार ने यहां एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में शिक्षा का निजीकरण करने पर तुली हुई है। इसी कारण वह सरकारी शिक्षण संस्थानों को नुकसान पहुंचा रही है। इससे पहले कन्हैया के यहां पहुंचने पर उनका विरोध किया गया। वकीलों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया अौर उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनको हटा दिया। कन्हैया की एक झलक पाने को लोग यहाँ बेकरार थे। कन्हैया एक क्रांति का प्रतीक बन कर यहाँ पहुंचे। 
यहां पंजाब साहित्य अकादमी परिसर में 'शिक्षा और रोजगार' विषय पर आयोजित सेमीनार में कन्हैया कुमार ने मोदी सरकार की शिक्षा नीति पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के सरकारी व पब्लिक सेक्टर के शिक्षण संस्थानों का निजीकरण करने की साजिश की जा रही है। यह देश के लिए खतरनाक है और शिक्षा का व्यावसायिक करण का प्रयास है। उन्होंने विमान से 2500  सेरुपयों में सफर की बात उठाते हुए भी कहा कि जो गरीब लोग 25 रुपयों में रेल से सफर करते हैं उनके लिए मोदी जी के पास क्या योजना है? अच्छे दिनों की चर्चा करते हुए कन्हैया ने कहा कि मोदी जी का मित्र 30 रूपये किलो दाल खरीद कर महंगे भाव बेच दे क्या यही हैं अच्छे दिन?
छात्र-छात्राओं के बीच आये कन्हैया कुमार की मौजूदगी एक जादू की तरह असर कर रही थी। उनके साथ सेल्फी लेने वालों की एक होड़ लगी थी। पंजाब में आतंकवाद से संघर्ष के दौरान दम तोड़ चुकी वाम छात्र लहर में एक नया जोश नज़र आया। मुद्दत के बाद भाकपा समर्थक छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंटस फेडरेशन (ए आई एस एफ) के झंडे पंजाब में नज़र आए। कन्हैया के लुधियाना आने से इस ऐतिहासिक संगठन की मौजूदगी का अहसास तीव्रता से सामने आया है जो इस चुनावी मौसम में वाम विरोधियों के लिए खतरे की घण्टी है। करीब एक वर्ष के अंदर अंदर तैयार किया गया यह छात्र केडर पूरी तरह से अनुशासित और सक्रिय। इसकी सक्रियता उन लोगों को कड़ा जवाब है जो मीडिया के सामने भी यह कहते नहीं थकते कि कमरेडटॉ अब खत्म हो चुके हैं।
सेमिनार में लोगों की संख्या किसी रैली की तरह थी। मौजूदगी रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराये जा रहे थे। एक नज़र देखा तो संख्या 700 के करीब थी। हाल के अंदर भी भीड़ थी और बाहर भी। शायद पहली बार इस हाल को कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पूरा भरा देखा।  
सेमिनार में कन्हैया कुमार ने कहा कि मोदी सरकार युवाओं को रोज़गार देने में अक्षम रही है। नरेंद्र मोदी ने इस बारे मे बढ़चढ़ कर बातें की थीं और दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन 1.35 लाख लोगों को ही रोजगार मिले हैं। सरकार युवाआें और जनता को भ्रमित करने में ही लगी रहती है।
कन्हैया ने कहा कि मोदी सरकार का मुख्य उद्देश्य शिक्षा से पैसा कमाना है, न कि लोगों को शिक्षित करना। यह हालत घातक है और गरीब युवाओं के साथ अन्याया है। कन्हैया ने कहा कि देश में भगत सिंह को पिस्तौल और बम चलाने वाले के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जबकि वह एक विचारक थे। लेकिन उनके इस पहलू को नहीं उभारा गया। कन्हैया कुमार ने सामंतवाद और पूंजीवाद से आज़ादी पर जोर दिया। उन्होेंने इसके लिए लाेगों खासकर युवाओं और बुद्धिजीवियों से आगे आने की अपील की।
सेमीनार का आयोजन पंजाबी साहित्य अकादमी में सोशल थिंकर फोरम के सहयोग से किया गया। इससे पहले वकीलों ने कन्हैया का पुतला फूंका ओर उनको कार्यक्रम में शामिल नहीं होने देने का एलान किया। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे वकीलों को गिरफ्तार कर लिया।
इसी बीच पंजाबी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉक्टर सुखदे सिंह सिरसा, महासचिव सुरजीत सिंह और मुख्य वक्ता प्रिंसिपल तरसेम बाहिया ने कहा कि साहित्य अकादमी कीतरफ से इस आयोजन का प्रयास बहुत आवश्यक था क्योंकि पंजाब के शैक्षणिक, बौद्धिक और नैतिक क्षेत्रों में गरावट आ रही थी। उन्होंने स्पष्ट किया की पंजाबी भवन में पहले भी इस तरह के आवश्यक जन मुद्दों पर आयोजन होते रहे हैं। 

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