Friday, April 01, 2016

चाचा ज्ञान सिंह-जिन्हें सियासत की बदलती हवा भी नहीं हरा पाती

कामागाटा मारू भी गई प्रो. गुरभजन गिल की टीम 
लुधियाना:: 1 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
गत दिनों जाने माने शायर प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल कुछ ख़ास साथियों के साथ कोलकाता गए। वहां जाने वाले लोग बहुत कुछ देखते हैं लेकिन बहुत कुछ ऐसा छोड़ भी देते हैं जो सभी को याद रखना चाहिए। जाने अन्जाने होती ऐसी भूलों  प्रोफेसर  गिल, के के  अन्य लोगों की टीम ने। प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल और  अपनी टीम के साथ वहां कामागाटा मारू स्मारक पर भी गए। एक वह स्मारक जिसकी जानकारी हर देश   वासी को होनी चाहिए थी। एक वह स्थान जो देश के स्वतंत्रता संग्राम का एक तीर्थ  है। 
लगातार 10 बार विधायक बन चुके सरदार ज्ञान सिंह मैदान में 
आप हैं सरदार ज्ञान सिंह ' सोहनपाल '.  उम्र : 91 वर्ष.  लगातार 10 बार विधायक हैं.  11वीं बार की तैयारी है.  चौंकिएगा मत,  पंजाब से नहीं बंगाल से.  पश्चिम बंगाल की खड़गपुर सदर सीट से जहां पांच हजार सिक्ख भी नहीं हैं.  पूरा क्षेत्र इनको चाचाजी कहता है.  1969 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं   चाचाजी हर चुनाव जीत जाते हैं.   पिछला चुनाव लगभग 32 हजार वोट से जीतें.  इस बार नहीं लड़ना चाहते थें लेकिन जनता और समर्थकों की जिद के आगे झुक गए.  आप बंगाल विधानसभा के स्पीकर, जेल, परिवहन, संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं.  इतना लंबा राजनीतिक जीवन होने के बावजूद एक रूपये की हेराफेरी का दाग नहीं। 
कहते हैं न असफलता वास्तव में सफलता की सीढ़ी होती है। यह भी कहा जाता है कि मन के हारे हार है--मन  के जीते जीत।  सरदार सोहनपाल की निरंतर जीत   ही शुरू हुआ था। कांग्रेस के विधायक ज्ञान सिंह सोहन पाल पहली बार 1962 में चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें पराजय का स्वाद चखना पड़ा था।  यह पराजय ही उनकी जीत का प्रेरणा स्रोत गई। उन्होंने  सीखे, इसे हिम्मत बनाया और फिर  डटे। सन 1969 में उन्होंने पहली बार हासिल की। अब 52 सालों के बाद और दस बार जीत हासिल करने के बाद सोहनपाल अभी भी एक और चुनावी जीत हासिल करने के लिए तैयार खड़े हैं। वो नहीं चाहते थे लेकिन लोगों ने उनकी एक न सुनी और उनको फिर मैदान में उतार दिया। अपने प्रशंसकों के बीच ‘चाचा’ के नाम से जाने जाने वाले 91 वर्षीय पाल इस विधानसभा चुनाव में सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी हैं। वह आईआईटी शहर खड़गपुर से चुनावी मैदान में उतरा गया है जहां से उन्होंने लगातार कई बार जीत हासिल की है।  हमारे जानेमाने लेखक प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल उन्हें मिल कर आये। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। काश हमारे भी यहाँ ऐसे नेता  जिन को खुद के कामों पर वोट मिले और सियासत की हवा उन्हें हरा न सके। 

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