कौन क्या कर रहा है यह सब को मालूम है
करीब 30 साल से पत्रकार इसलिए अपनी बात को लिख कर बता रहा हूँ। प्रभु मेहरबानियों की बरसात कर, बन्दे की गुजारिश तो यही रहती है-जयजयकार जिसकी एक बार हो गयी दुनिया उसे सातवें आसमान पर चढ़ा देती है। जिसकी सुनवाई नहीं हुयी उसे सीधे पाताल में फेंक दिया जाता है। लुधियाना की पत्रकारिता में आजकल ऐसा ही कुछ हो रहा है। चंद रोकड़ा तनखाह के नाम पर लेने वाले आजकल पत्रकारिता के स्वयंभू ठेकेदार बन कर सरकारी प्रेस क्लब की कल्पना को यथार्थ करने में लगे हैं तांकि इनकी स्वार्थ सिद्धि वोट पाने के नाम पर खेल खेल सकें। समाज में पत्रकारिता की अड़ में इस प्रकार की प्रवृति पैदा हो रही है। ये सब पत्रकार भलीभांति जानते हैं। कौन सरकारी ठेकेदारी और कौन लोगों के काम के एवज़ में ले जाता है ये सब मालुम है। फिलहाल सारी पोल पत्रकारों के सामने जल्द होगी। आजकल कुछ चलन ही ऐसा है। अब देखिये न गाय भी दूध देती है और भैंस भी एक पे किसी गरीब की गृहस्थी चलती है और दूसरी से साहूकार धन्ना सेठ बन जाता है। गाय सफेद है और भैस काले रंग की लेकिन दोनों के दर्जे में कितना फर्क है। गए माँ कहते है और भैंस को कुछ नहीं। कौन पत्रकारिता की आड़ में अपने खून पसीने की कमाई करता है और कौन कालाधन एकत्र कर रहा है। यह सब आपको बताने की ज़रूरत नहीं। आप समझदार हैं। कौन चिलचिल्लाती धुप में तारकोल से बनी सड़कों की निपायी करते हैं और कौन एयरकंडीशंड चला कर सुख की नींद लेते हैं बाकी आप सब के विवेक छोडजा रहा है। तोड़ी मेहनत करके आप पूरी पंक्तियों को आगे बढ़ा कर महांभारत का ग्रन्थ लिख सकते हैं।
आपका नाचीज़ कामरेड साथी
सुनील राय कामरेड
09815856896
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