Friday, August 08, 2014

मशीन में बाज़ू कटी तो बाज़ू डंप में और महिला नौकरी से बाहर

क्या होगा इस सिस्टम में गरीब इन्सान का?
लुधियाना: 8 अगस्त 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
पति का देहांत हुआ तो माहेश्वरी की ज़िन्दगी में अँधेरा छा गया। एक एक कदम--एक एक दिन नयी से नयी चुनौती लेकर सामने आता पर उसने हिम्मत न हारी। उसने ठान लिया  कि अपनी तीनों बच्चियों को उसने पिता का दुलार भी देना है और पढ़ा लिखा कर एक अच्छा इंसान भी बनाना है। इसके लिए सबसे पहले चाहिए था पैसा जो उसके पास नहीं था। उसने लुधियाना में शेरपुर की एक फैक्ट्री में काम शुरू किया। उसे दिन भर साइकल की एक मशीन पर बैठना पड़ता लेकिन मशीन वक़्त आने पर खराब होती चली गयी। उसने फोरमैन से भी कहा और फैक्ट्री के मालिक से भी लेकिन किसी ने ध्यान न दिया। एक दिन उसकी बाज़ू उस मशीन में फंस गयी और झट से कट कर दूर जा गिरी। दर्द और सदमे के मारे वह बेहोश हो गयी। उसे एक निजी अस्पताल में लेजाया गया। करीब २४ घंटे तक उसका इलाज वहां चला और फिर उसे ईएसआई अस्पताल पहुंचा दिया गया। चार दिन उसे वहां रखा गया और फिर कहीं ओर शिफ्ट कर दिया गया। वहां से छुट्टी मिली तो उस पर दुःख का एक और पहाड़ टूट पड़ा। उए पता चला कि मालिक ने उसे नौकरी से हटा दिया है। उसने मालिक के पाँव पकड़े---बहुत रोई कि अब वह अपाहिज बन कर कहाँ जाये लेकिन मालिक के कानों पर जूं  तक नहीं सरकी। इसी बीच उसकी कटी हुई बाज़ू एक डंप से बरामद हुई। उसे इसका पता अख़बार पढ़ कर चला। वह मालिक के पास व्ही गयी और पुलिस के पास भी लेकिन पता चला कि पुलिस ने उसकी बाज़ू को लावारिस समझ कर सिवल अस्पताल में सौंप दिया जहाँ उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

एक कटी हुई बाज़ू मिलने पर भी उसकी जाँच पड़ताल नहीं की गयी। अब वह अपने देवर के साथ सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है कि उसे इन्साफ दिलाया जाये। उसने मुआवज़े में दस लाख रुपयों की मांग की है। अब उसे क्या मिलता है इसका पता तो वक़्त आने पर ही लग सकेगा पर स्वतंत्रता दिवस के दिनों में उसे मिला यह दर्द देश और समाज पर कई सवाल खड़े करता है। आखिर कब तक चलेगा गरीबों के साथ यह सब? क्या स्वतंत्रता केवल अमीरों के लिए आई थी? क्या गरीब लोग यूँही कुत्ते की मौत मरते रहेंगे? अगर यह सब इसी तरह चलेगा तो नई क्रांति को आने से कोई नहीं रोक सकेगा। उसकी आहट बहुत करीब है। वह किसी भी वक़्त दस्तक दे सकती है।
आइये कामना करें कि वो दुनिया जल्द बने जिसकी कामना करते हुए साहिर लुधियानवी साहिब ने लिखा था---
वो सुबह कभी तो आएगी
फ़ाक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे
सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे
ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं
वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी 


माहेश्वरी देवी का मोबाईल नंबर है--94174 69488 और पता है:--गली नंबर-5,  मुस्लिम कालोनी, शेरपुर, लुधियाना। 

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