Friday, August 16, 2013

आनन्द मार्ग स्कूल में भी मनाया गया स्वतन्त्रता दिवस

कुर्सी रेस का खेल दिखा कर दिखाई  देश व दुनिया की असली हालत
यूं तो 15  अगस्त का दिन इस बार भी देश के हर कोने में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा था पर लुधियाना के आनन्द मार्ग आश्रम कम स्कूल में हुए आयोजन का नजारा कुछ अलग सा ही था। पूरी रात से जारी तेज़ बरसात के बावजूद स्कूल के छोटे छोटे बच्चे पूरे जोश में थे। लगातार हो रही बरसात उनके हौंसले या उत्साह को जरा सा भी कम नहीं कर पाई थी। लगता था इन बच्चों के जज्बे को  देख कर इंद्रदेव ने भी अपनी जिद छोड़ दी है चाहे थोड़ी देर के लिए ही सही। बारिश थमते ही ठीक नौ (09) बजे के निर्धारित समय पर शुरू हुआ इन वच्चों का रंगारंग कार्यक्रम भी रंगीन था लेकिन इस रंगारंग कार्यक्रम में रंग थे जिंदगी के---सफलता के---मेडिटेशन के---संघर्ष के और आत्मा परमात्मा तक के कुछ अलौकिक रंग जिन्हें वक्त या हालात के तूफ़ान कभी धुंधला नहीं कर पाते--कभी भी मिटा नहीं पाते।ये वे रंग थे जिनसे जिंदगी का हर रंग उत्कर्ष और नैतिकता की बात करता है---सफलता और सात्विकता की बात करता है---!
कार्यक्रम के मुख्य मेहमान थे इन बच्चों के जाने पहचाने वीआईपी जनाब अशोक चावला जो समाज सेवा के लिए अपने व्यस्त समय में से भी किसी न किसी तरह समय निकाल ही लेते हैं ! आज भी वह इस स्कूल के लिए विशेष तौर पर आये थे--और इस अवसर पर सम्मानीय अतिथि थे पब्लिक व्यूज़ के सम्पादक अरुण कौशल।
देश और दुनिया में जारी 
कुर्सी रेस की एक झलक 
शिक्षा पर बोलते ऋषिदेव
शुरूआत हुई परेड से जिसे देख कर लगता था कि इन बच्चों में भी सेना का जज्बा और जोश अपना पूरा रंग दिखा रहा है। परेड के बाद मुख्य मेहमान ने झंडा लहराया और शुरू हुआ कार्यक्रमों का सिलसिला। इन बच्चों ने बोरा रेस भी दिखाई कि अगर दुश्मन इन्हें किसी बोरी में भी बंद कर दे तो वहां से कैसे भागना है। अगर दुश्मन इनके हाथ बाँध दे तो मूंह से भोजन की तलाश करके के कैसे अपना जीवन बचाना है--इस तरह के सब खेल बहुत ही कुशलता से दिखाए गए।  इन छोटे छोटे बच्चों ने अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत और पंजाबी में भाषण करके अपने सही उच्चारण और भाषा पर पकड़ का जादू भी दिखाया---साथ ही दिखाया जनरल नालेज और साधना से विकसित होने वाली स्मरण शक्ति  का कमाल भी ! किसी भी बच्चे ने किसी कागज़ से देख कर कुछ नहीं बोला।  सब  को अपना अपना भाषण ज़ुबानी याद था। उच्चारण भी बिलकुल सही और आत्म विशवास भी कमाल का---!
इन बच्चों ने ड्राईंग में भी अपना कला कौशल दिखाया। कला की प्रतियोगिता में इन बच्चों ने केवल साथ मिनट के अल्प समय में बहुत ही कुशलता से बताये गए विषयों पर बहुत ही हैरानीजनक चित्र बना कर दिखा दिए। अनुमान लगाना कठिन था कि इन बच्चों ने इतने कम समय में यह सब कैसे कर दिखाया ? अगर इन बच्चों को भी अमीरों  जैसे साधन और सुविधाएं मिलें तो ये बच्चे बी क्या नहीं कर के दिखा सकते ?
जब शुरू हुआ एक पुराना गीत जहाँ डाल डाल सोने की चिड़िया करतीं हैं बसेरा वोह भारत देश है मेरा ! तो इस गीत की पर डांस कर रही छोटी छोटी बच्चियों के हाथ एक एक पंक्ति पर ऐसे सुनियोजित ढंग से उठ रहे थे कि ऐसे लगता था जैसे यह गीत इन्ही बच्चियों पर फिल्माया गया हो।  ताल से ताल मिलाती इन बच्चियों ने पूरे माहौल को ही संगीत पूर्ण बना दिया था। अच्छी कारगुजारी दिखने वाले बच्चों को सम्मानित भी किया गया। मंच संचालन की ज़िम्मेदारी किसी टीवी एंकर की तरह निभाई इसी स्कूल की अध्यापिका रीतू ने---हर आईटम पर बच्चों का होंसला बढ़ती---दर्शकों को तालियों की याद दिलाती और एक कार्यक्रम को दुसरे कर्यक्रम के साथ शब्दजाल में पिरोती रीतू को देख कर एक बार तो यूं लगा कि शायद मंच संचालन के लिए किसी विशेषज्ञ कलाकार को बुलाया गया है पर पूछने पर पता चला कि वह तो इसी स्कूल की एक वरिष्ठ अध्यापिका है।
 समाज सेवा:हर पल तैयार:अशोक चावला 
इस सारे कार्यक्रम की सफलता के पीछे  स्कूल प्रिंसिपल और आश्रम के आचार्य गोविन्दानन्द जी का सतत प्रयास और दिन रात एक करके की गई कठिन मेहनत थी।  पूछने पर आचार्य ने बताया कि यह सब 24 घंटे पूर्व ही तैयार किया गया।  पुरूस्कार वितरण के अवसर पर अशोक चावला जी ने बच्चों को उत्साहित किया और आये हुए मेहमानों को बताया कि इस स्कूल में पढने वाले बच्चों को शरीरक, मानसिक और अध्यात्मिक हर स्तर पर अवश्य ही लाभ -होगा-यहाँ से पढने वाले बच्चे बहुत ही संस्कारी नागरिक बन कर देश और दुनिया का कुछ संवारेंगे।  युवा पत्रकार अरुण शर्मा ने भी इन बच्चों के कार्यक्रम और स्कूल प्रबन्धन के प्रयासों की प्रशंसा की। जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में पढने वाले एक पुराने लेकिन युवा साधक ऋषिदेव ने बहुत ही भावुक हो कर कहा कि अगर देश की शिक्षा प्रणाली को सुधार दिया  देश विकासशील देशों के वर्ग में से निकल कर विकसित देशों की पंक्ति में आ जाएगा।
पत्रकार अरुण कौशल 
उन्होंने पढो-पढ़ाओ आभियान चलने की आवश्यकता पर भी बल दिया।  उन्होंने कहा कि यह अभियान हर गाँव--हर घर----हर परिवार तक पहुंचना चाहिए---पूरी तरह से निशुल्क या फिर बहुत ही कम लागत मूल्य पर।   तकरीबन 600 गीत लिख चुके ऋषिदेव ने अपना एक गीत भी सुनाया----गाँवों में आ के मेरा भारत देखो।
इस अवसर पर अरुण कौशल ने कहा कि वह इस स्कूल का संदेश और इस संस्थान के इन छोटे छोटे बच्चों की प्रतिभा का विवरण इस क्षेत्र के सम्पन्न लोगों तक पहुँचायेंगे तांकि कुछ कर सकने की क्षमता रखने वाले लोग इस शुभ  कार्य के लिए बढ़ चढ़ कर आगे आ सकें और इस समाज को कुछ अच्छे संस्कारों के नैतिक लोग मिल सकें। --रेक्टर कथूरिया 

Ananda Marga Related links: 

आनन्द मार्ग स्कूल में भी मनाया गया स्वतन्त्रता दिवस 

आनंदमार्गिओं ने नकारा महासम्भूति  के अवतरण का दावा


नए साल के साथ ही हो जाएगी कयामत की शुरुआत


आनन्दमार्ग जागृति में हुई तन-मन के गहरे रहस्यों की चर्चा 



ਵਿਆਹ ਕਿਸ ਲਈ ਤੇ ਕਿਓਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?

No comments: