पिछले दिनों किसी केन्द्रीय मंत्री ने एक ब्यान दिया था कि आतंकवाद में से भी वामपंथी आतंकवाद सबसे अधिक खतरनाक है. इस खबर को अख़बार ने भी बहुत प्रमुखता से प्रकाशित किया था. खबर देख कर मेरे पास बैठे कुछ मित्र बहुत ही अजीब मुस्कान से मुस्करा रहे थे. एक ऐसी मुस्कान जिसमें गुस्सा भी नजर आ रहा था. बोले इसे वामपंथी आतंकवाद तो सबसे खतरनाक नजर आता है पर उस आतंक की यह बात ही नहीं करता जो नवम्बर-84 में राजधानी की सडकों पर नजर आया था. घर से निकालना, फिर गले में टायर डाल डाल कर जीवित जलाना...यह कौन सी अहिंसा थी. दुःख की बात यह है कि आज भी इन लोगों को नवम्बर-84 की घटनाएं आतंक नहीं लगती. पंजाब की एक पूर्व मुख्यामंत्री प्रोफैसर दविंद्रपाल सिंह भुल्लर को फाँसी देने की तो वकालत करती है पर जिन लोगों ने नवम्बर-84 में मौत का तांडव किया उनके बारे में वह एक शब्द भी नहीं बोलती.. इन लोगों को कभी भगवा आतंकवाद नजर आता है, कभी वामपंथी आतंकवाद नजर आता है..पर अपने पंजे का आतंक कभी नजर नहीं आता ! उन दिनों में क्या क्या हुआ इसे दोहराना उचित नहीं होगा पर एक सरपंच ने उन लोगों पर कुछ सवाल उठाये हैं जो मानवीय जान के नुक्सान पर भी अपनी राजनीती चलाते हैं. हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले में आते गाँव होन्द चिल्ल्ड में जो कुछ हुआ उसे इस सरपंच ने अपनी आखों से देखा था.एक हाथ में तेल या पैट्रोल की पीपी और दुसरे में माचिस. हमलावर बहुत ही साफ़ शब्दों में समझाते की हमारे रास्ते से हट जयो वरना....और सरपंच हट गया. अगर नहीं हटता तो शायद वे लोग इसे पूरी तरह से ही रास्ते से हटा देते. इस सरपंच ने अपनी जान बचाने की कीमत अदा कर दी है, उसने सच सच बता दिया है कि उस समय क्या क्या हुआ था. अब देखना यह है कि इस वक्त आम आदमी का अगला कदम क्या होगा और लीडरों का अगला कदम क्या होगा ?
अब राजनीती के मैदान में बड़ी बड़ी बातें करने वाले लीडरों का अगला कदम भी देखा जायेगा और संगत व जनता का अगला कदम भी. उन दिनों उजाड़ी गयी इस जगह को दोबारा बसाने में सिख संगत या फिर सिख लीडरों को कौन रोक रहा है ? अगर यहाँ मारे गए उन लोगों की स्मृति में यहाँ कोई गुरुद्वारा भी बनाया जाना है तो उसमें और देरी कौन कर या करवा रहा ? अगर आप भी इस मुद्दे पर कुछ कहना चाहते हैं तो आपका स्वागत है. आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी ! सवाल किसी एक पार्टी या एक समुदाय का नहीं. सवाल है देश की संस्कृति का, देश के कानून का, देश के सदभाव का ! अगर आम नागरिक का विशवास इन चंद नेतायों की स्वार्थ भरी नीतियों के कारण भंग होता है या फिर कुछ बेगुनाहों को बचाने के लिए क़ानून और इन्साफ के साथ कोई खेल खेला जाता है तो यह निश्चय ही बहुत बड़े दुर्भाग्य की बात होगी ! गौरतलब है की इस वीडियो क्लिप को पोस्ट किया है इस स्थान का पता लगाने वाले इंजीनियर मनविन्द्र सिंह ने लेकिन आप इस सरे मुद्दे पर क्या सोचते हैं...क्या कहना चाहते हैं....क्या होना चैये इस मुद्दे पर अगला कदम ? आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी.